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आयुर्वेद में कायचिकित्सा का महत्व

आयुर्वेद एक जीवन शास्त्र है। स्वस्थ्य के स्वास्थ्य की रक्षा तथा आतुर के विकार का प्रशमन, ये ही आयुर्वेद के दो मुख्य उद्देश्य हैं। कायचिकित्सा अष्टांङ्ग आयुर्वेद का मुख्य अंग है। हमेशा से ही यह आयुर्वेद का सबसे महत्वपूर्ण एवं जीवन्त अंग रहा है। ‘काय’ शब्द सर्वशरीर, अन्तराग्नि तथा सम्पूर्ण चयापचय व्यापार को परिलक्षित करता

धारा की श्रृंखला

मानवी शरीर असंख्य स्रोतसों से बना हुआ है यह एक ज्ञात बात है। यह स्रोतस् शरीर पदार्थों को एक भाग से दुसरे भाग में वहन करनेवाली मात्र नालियाँ नहीं है। यह वो मार्ग है जिनमें से गुजरते हुए शरीर घटकों में बदलाव होते जाते हैं। यह वो अयन है जो परिणाम आपद्यमान धातुओं का वहन

प्राचीन आचार्यों का विज्ञान और वर्तमान यथार्थ

हमारे आचार्यों के अद्वितीय सूत्र हमारे प्राचीन आचार्यों ने जिन विषयों पर गहन शोध और अन्वेषण करके जो सूत्र रूप में लिखा है, वह अक्षरशः सत्य माना जाता है। उनके ज्ञान को आज के यथार्थवादी वैज्ञानिक, जो निरंतर परिश्रम कर रहे हैं, अभी तक पूरी तरह से प्राप्त नहीं कर सके हैं। सत्यप्रिय वैज्ञानिकों ने